Monday, December 30, 2024



बच्चों में तनाव 

आजकल हर समय तनाव  में होना सिर्फ वयस्कों की समस्या ही नहीं है बल्कि अब रोजमर्रा की जिंदगी में बच्चे भी इससे झूझ रहे हैं। अपने स्कूल, अपनी दोस्ती , शारीरिक बदलाव या घर  परिवार में होने वाली घटनाओं के कारण भी बच्चे तनाव में रहते हैं। आजकल स्ट्रेस या तनाव बच्चों की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। लेकिन उनके लिए इससे निबटना बेहद कठिन होता है व इसके बारे में बच्चे जानते ही नहीं और न वो ये जानते हैं कि इसके बारे में कैसे बताया जाए व इससे निजात पाने के लिए किसकी सहायता ली जाए। हम उनके व्यवहार में होने वाले कुछ बदलावों या संकेतों से पता लगा सकते हैं कि बच्चा तनावग्रसित है व समय रहते  उनकी व्यावहारिक व वास्तविक सहायता कर सकते हैं। 

बहुत बार बच्चों में तनावग्रसित होने पर ये मुख्या संकेत देखने को मिलते हैं जैसे कि -

 शारीरिक प्रतिक्रिया - तनाव में होने पर उनका शरीर विभिन्न प्रकार से प्रतिक्रिया करता है। वो कभी नाखून चबाते हैं, कभी अपनी मुठ्ठी भीचते हैं या फिर पेट दर्द की शिकायत करते हुए मिलते हैं। तनाव उनके शरीर को भी प्रभावित करता है वा उनके स्वास्थय पर प्रभाव डालता है। 

एकाग्रता में कमी - किसी भी काम पर फोकस न कर पाना,  किसी भी चीज या  होमवर्क को बहुत देर तक एकटक देखते रहना और रोजमर्रा के आसान से कार्यों को भी समय पर पूरा न कर पाना या अपने दिमाग पर ये सोच हावी कर लेना कि- मैं इस काम को नहीं कर सकता।

भावनात्मक रूप से कमजोर होना - बच्चा बहुत सारी बातों को भावनाओं के आवेग में आकर खुद को संभाल नहीं पता व छोटी-छोटी बातों पर रोने लगता है। किसी की भी कही गयी बात को वो मन पर लगा लेता है और उस बारे में अपनी प्रतिक्रिया वो अपने रोने से प्रदर्शित करता है। असल में उनकी भावनाएँ उन पर हावी हो जाती हैं। 

गुस्सा या आक्रोश  - अपने घर या स्कूल में बहुत गुस्से में रहने लगते हैं। छोटी-छोटी बात पर अपने भाई बहनों या दोस्तों पर  क्रोधित हो जाते हैं , टीम या ग्रुप में किसी भी काम में सहमति न होने पर दूसरों पर चिल्लाना या दूसरों के पॉइंट को न समझना।  

बहाने ढँढ़ना व शिकायतें करना -  काम को न करने के बहाने ढूँढ़ते हैं। स्कूल न जाने के लिए नए बहाने करते हैं। किसी एग्जाम या खेल के लिए शिकायत करना कि मेरा सर दर्द है या मैं बीमार हूँ आदि। कह सकते हैं कि  बच्चे का किसी भी काम में मन ही नहीं लगता और अपनी इस समस्या से वह अनजाने में अकेले ही झूझता रहता है। उसे लगता है कि  उसे कोई नहीं समझ सकता या वो सबके  लायक ही नहीं है। 

उनकी हेल्प करने के लिए सबसे पहले हमें बच्चों का विश्वास जीतना चाहिए जिससे वो खुल कर अपनी बात हमें बता सकें तथा कुछ अन्य  तरीके आजमाकर  भी हम उनकी सहायता कर सकते हैं जैसेकि - बच्चों के साथ समय बिताना, उनकी बातों को समझना व उनकी समस्याओं का व्यावहारिक समाधान देना, उनका मनोबल बढ़ाना व छोटी-छोटी उपलब्धियों पर उनकी प्रशंसा करना, उन्हें डायरी लिखने को प्रत्साहित करना, आर्ट,ड्राइंग व स्केचिंग करना, तनाव में रह रहे बच्चे के लिए हमें अपने घर के  वातावरण को शांत बनाने का प्रयास करना चाहिए, उन्हें योग व मैडिटेशन के लिए भी प्रोत्साहित करें व बच्चों को यह विशवास दिलायें कि आप हर समय उनके साथ हैं। आप उनकी चिंताओं या समस्याओं को निपटाने में उनका साथ देंगें व सबसे अधिक कारगर समाधान है कि हम बच्चों का भरपूर प्यार व समय दें जिससे वो इस तनाव के जाल में फंसे ही नहीं। 




 










Thursday, October 31, 2024

Happy Diwali 



 

Wednesday, October 30, 2024





 

Sunday, October 27, 2024

सुनिए कहानियाँ मेरे साथ  




 


बच्चों का मानसिक विकास  

माता-पिता बनने की ख़ुशी अपने साथ एक बड़ी जिम्मेदारी भी लेकर आती है। प्रारम्भ से ही बच्चे अनेकों प्रकार के  साधनों व खिलौनों आदि से अनेक प्रकार के कौशल स्वाभाविक रूप से सीखते हैं व इन्हीं वर्षों में उनका दिमाग भी  विकसित हो रहा होता है।

 माता-पिता को बच्चे को नयी-नयी चीजों को सीखने में उनकी सहायता करनी चाहिए। आज की तेजी से भागती दुनिया में हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे को अन्य बच्चों पर बढ़त मिले। यह उन जोड़ों को एक कठिन चुनौती की तरह लग सकता है जो अभी नये-नये माता-पिता बने हैं लेकिन अगर कुछ बातों का शुरू से ध्यान रखा जाए तो यह वास्तव में उतना कठिन भी नहीं है। 

आइए हम आपको कुछ टिप्स प्रदान करते हैं जो आपके बच्चे के दिमाग को तेज करने में आपकी मदद कर सकते हैं।

 1. अपने बच्चे को उनके विचारों और कार्यों में पारदर्शिता लाना सिखाएं। उन्हें बिना किसी डर या झिझक के अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात करने में सक्षम बनाएं। कम उम्र में विचारों और भावनाओं को दबाना बच्चे के विकास के लिए हानिकारक हो सकता है।

2. आपको अपने बच्चे में छोटी उम्र से ही समस्याओं का सामना करने का साहस पैदा करना चाहिए। समस्याओं से  भागने के बजाय उन्हें समस्याओं का समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित करें। आलोचनात्मक सोच और रचनात्मकता को बढ़ावा दें ताकि वे साहस के साथ रोजमर्रा की प्रोब्लेम्स को दूर कर सकें।

3. बच्चों को यह पहचानने में मदद करें कि वे कब नकारात्मक सोच में उलझ रहे हैं। यह माता-पिता व बच्चों की  आपसी खुली बातचीत के माध्यम से हो सकता है। उन्हें "मैं यह नहीं कर सकता" या "मैं काफी अच्छा नहीं हूं" जैसे वाक्य कहने से रोकें। सामान्य परेशानियों  के बारे में बात करें जैसे कि फेल होने या विफलता का डर, दोस्तों का दवाब या कम आत्मविश्श्वास। रोजाना इन सभी के बारे में बात करना निश्चित रूप से आपके बच्चे में आशावादी सोच को बढ़ावा देंगा।

4. अपने बच्चे को इनडोर बोर्ड गेम और आउटडोर गेम दोनों खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। यदि आपके पास समय हो तो आप खुद भी उनके साथ खेलने में शामिल हों। दिमाग का उपयोग करने वाले खेल जैसे-सुडोकू,चेस, पजल्स,पहेलियाँ,रंग व शेप्स,नंबर गेम्स आदि आपके बच्चों को स्मार्ट बनाते हैं।

5 . शरीर और मन के बीच उचित समन्वय बनाए रखने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि बच्चे शारीरिक व्यायाम करें। इससे मानसिक और शारीरिक विकास बेहतर होगा। मानसिक शक्ति को बढ़ावा देने के लिए व्यायाम बहुत महत्वपूर्ण है। दौड़ना,सिटअप्स,स्विमिंग,साइकिलिंग,स्केटिंग आदि भी शारीरिक रूप से मजबूत बनाते हैं। यह सभी एक्टिविटीज बच्चों के सम्पूर्ण स्वास्थ्य में सुधार करती हैं।

6. अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाएं। रोजमर्रा के छोटे-मोटे कार्य करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें व ऐसे में  हमेशा अपने बच्चे के साथ रहें व उसे गाइड  करें। उन्हें दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय खुद से अपनी समस्याओं के समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित करें।

7 . अगर बच्चों को पर्याप्त नींद नहीं मिलती है और हेल्दी डाइट का सेवन नहीं करते हैं तो उनका विकास ठीक से नहीं हो पाएगा। यह सुनिश्चित करना माता-पिता पर निर्भर है कि वे स्वस्थ आहार के साथ ही और अच्छी नींद लें।


                        



                                                                    HH NOV 2024


Wednesday, October 23, 2024





 

Tuesday, October 22, 2024

अभाव 

मेरे क्लिनिक के पास ही एक छोटी सी बस्ती थी। जहाँ गरीब अनपढ़ लोग अपने परिवारों के साथ रहते थे। सुबह करीब दो घंटे के लिए मैं क्लिनिक में सिर्फ इन्हीं लोगों का मुफ्त इलाज करती थी और शाम को प्राइवेट प्रैक्टिस करती थी।कभी-कभी मैं अपनी टीम के साथ बस्ती में जाकर कुछ दवाईयाँ व इंजेक्शन वगैरह लगा कर इनकी सहायता करने की कोशिश करती थी। बस्ती में लोग खूब ड्रग्स,शराब, तम्बाकू लेते और इन्फेक्शन,बुखार,डायरिया जैसी बीमारियों से ग्रसित रहते थे। ख़ास तौर पर बच्चे और लड़कियां तो अनेक तरह की मानसिक व शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे थे। मैं इन लोगों को अपनी तरफ से अनेक मुद्दों - साफ़-सफाई,नशा,सेक्स,पढ़ाई-लिखाई आदि के बारे में काफी समझाती थी लेकिन ये लोग अपनी ही दुनिया में या जिंदगी की जद्दोजहद में ही मशगूल थे।सही मायनों में इन लोगों को इसी माहौल में रहने की आदत हो गयी थी।  

आज बस्ती में एक सोलह साल की कमजोर सी लड़की की डिलीवरी करवाई। कितनी ही उलझनों और प्रॉब्लम्स के साथ बच्चे का जन्म तो हुआ लेकिन वह लड़की मरते-मरते ही बची थी। खैर लड़की की माँ को दवाई वगैरह समझा कर मैं अपनी नर्स बेला के साथ क्लिनिक वापस लौट रही थी तभी बेला ने कहा - मैम ये लड़की तो खुद बच्ची थी और इसका अपना बच्चा हो गया। आज के समय में भी ये लोग कैसे रह रहे हैं ?

ये सब अपनी गरीबी से मजबूर हैं और उस से भी ज्यादा शिक्षा का अभाव है - मैंने कहा। थोड़ी देर बाद क्लिनिक बंद कर हम लोग घर के लिए निकल लिए। 

अगले दिन शाम को मेरे क्लिनिक के बाहर एक गाड़ी रूकी और उसमें से एक महिला अपनी टीनेजर लड़की के साथ अंदर आयी और अपनी बारी के इंतज़ार में मेरे केबिन के बाहर इंतज़ार करने लगी। थोड़ी देर बाद वो महिला अपनी लड़की के साथ अंदर आयी और बोली - हेलो डॉक्टर शी इज माय डॉटर...आप जरा इसका चेकअप कर लें। कई दिन से इसकी तबियत ख़राब है।  

हाय डॉक्टर। एक्चुअली मेरे ऑफिस में वर्कलोड बहुत ज्यादा है शायद इस वजह से मुझे कुछ दिनों से चक्कर आ रहे हैं और वोमिटिंग भी हो रही है - निकिता ने बताया।  

क्या तुम मैरिड हो ?

नहीं - उसने मुस्कुराते हुए कहा। 

ओके। जनरल पूछताछ के बाद मैंने बेला से निकिता का ब्लड सैंपल लेने को कहा।  

देखें निकिता आपकी ब्लड रिपोर्ट देखने के बाद ही मैं कोई दवा स्टार्ट कर पाउँगीं। कल सुबह तक रिपोर्ट आ जायेगी।आप कल शाम की अपॉइंटमेंट ले लें। 

ओके। देन वी  विल कम टुमारो। इतना कह दोनों क्लिनिक से चली गयीं। 

अगले दिन शाम को जब मैं क्लिनिक पहुँची तो मेरी नर्स बेला ने मुझे निकिता की रिपोर्ट दिखाई। निकिता की रिपोर्ट के अकॉर्डिंग निकिता प्रेग्नेंट थी और ब्लड में ड्रग्स के कुछ अंश भी मौज़ूद थे। 

अरे ! इसकी रिपोर्ट तो...मैंने बेला को देखते हुए कहा। 
वही तो मैम बस्ती में तो माना शिक्षा का अभाव है ये सब समझ में आता है लेकिन इस केस में भी क्या ...?

* क्या वाकई शिक्षा का अभाव व गरीबी इन सस्याओं का कारण है ? 




Sunday, October 20, 2024




 

Thursday, October 10, 2024


रतन नवल टाटा

१९३७ -२०२४ )

महान सरल विनम्र  दूरदर्शी व्यक्तित्व 


मुट्ठी भर जो लाया था संग अपने 

 देश तुझेअर्पण कर दिया 

जीवन जिया स्वाभिमान से मैंने 

ले अब तन भी तेरे सुपुर्द कर दिया 


भारतीय उद्योग के स्तंभरत्न जी टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था।अपने जीवन और कार्यों के माध्यम सेरतन जी ने  केवल टाटा समूह को   ऊँचाईयों पर पहुँचाया बल्कि देश की औद्योगिक पहचान को भी सशक्त किया .उनकासम्पूर्ण जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
रतन जी ने अपने दादा जमशेद जी टाटा की परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए   उद्योग में नैतिकता  और मानवता का संचारकिया। इन्होंने  केवल व्यवसाय के क्षेत्र में बल्कि समाज के हर पहलू पर अमिट                 छाप छोड़ी। 
इनके नेतृत्व में टाटा समूह ने प्रौद्योगिकीटेलीकॉमसूचना और ऑटोमोबाइल  जैसे अनेक क्षेत्रों में विस्तार किया।
रत्न टाटा का दृष्टिकोण हमेशा नैतिकता और मानवता पर केंद्रित रहा  जिससे इन्होंने टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर एकविश्वसनीय और सम्मानित       ब्रांड बना दिया रतन जी ने शिक्षास्वास्थ्यऔर महिला सशक्तिकरण      जैसे क्षेत्रों में कईयोजनाएं प्रारंभ कीं जिनका लोगों के जीवन पर अत्यंत ही सकारात्मक   प्रभाव पड़ा।उनका मानना था कि हमें व्यापार से केवल मुनाफा ही नहीं कमाना               चाहिए बल्कि समाज के कमजोर वर्ग के विकास उत्थान के लिए भी कार्य           करना चाहिए। उन्होंने हमेशा अपने कर्मचारियों और समुदायों के कल्याण के लिए  
प्रयत्नशील रहते हुए यह सिद्ध कर दिया कि एक जिम्मेदार नेता कैसे समाज में 
बदलाव ला सकता है। 
रत्न टाटा जी को मानव के प्रति संवेदनादयालुताविनम्रता  दूरदर्शी सोच               जैसे गुणों ने एक प्रेरणादायक नेता बना दियाजिसने हमेशा समाज के कमजोर,   पिछले  गरीब वर्ग के   उत्थान के लिए प्रयास किए। 
उनका निधन निस्संदेह भारतीय उद्योग के लिए एक अपूर्णीय क्षति हैलेकिन   नकी विरासत,  विचारऔर कार्य हमें आगेबढ़ने की प्रेरणा देते रहेंगे। हम सभी उनके योगदान को कभी नहीं भुला पायेंगे और वे हमेशा हमारे 

दिलों में जीवित रहेंगे रत्न जी टाटा का जीवन यह दर्शाता है कि कैसे एक                          व्यक्ति  अपने सिद्धांतों और नैतिकता के साथ  केवल व्यवसाय में               सफलता प्राप्त कर सकता है बल्कि समाज को भी एक नई दिशा दे सकता है।