सेवादार
" सेवा " शब्द का अर्थ है बिना कुछ लिए निःस्वार्थ लोगों की सेवा करना। सेवा शब्द के जुड़ते ही हम बिना किसी लोभ के उस सेवा के लिए हर समय उपलब्ध हो जाते हैं। राजनीति भी एक प्रकार की देश-सेवा ही है।आजादी की लड़ाई लड़ने वाले सभी महापुरुषों ने देश-सेवा के लिए कोई वेतन नहीं लिया अपितु देश के लिए अपना बचपन , जवानी व सर्वस्व न्योछावर कर दिया। आजकल राजनीति एक व्यवसाय बन गयी है। इस सेवा में आते ही देश इस "सेवादार" व उसके परिवार की उम्र भर के लिए मुफ्त में ही सेवा करता है। देश की सेवा के बदले इतनी सुविधांए लेना ऐसा लगता है जैसे अपनी भारत माँ की सेवा के बदले देशवासियों से मासिक भत्ता बंधवा लेना। देशवासी अपनी जिंदगी की गाढ़ी कमाई टैक्स के रूप में देश की सेवा में ही अर्पण करते हैं। देशवासियों को अपने दिए पैसे से ही सभी तो नहीं हाँ कुछ सेवायें ठीक प्रकार से मिल ही जातीं हैं। अपने कर्तव्यों का ठीक से निर्वाह किये बिना न जाने कितने नेता मुफ्त में ताउम्र सभी सुविधाओं का लाभ उठाते हैं। सभी प्रकार की यात्राओं,स्वास्थय, आवास ,गाड़ी ,भोजन से लेकर अनगिनत सुविधाएं मुफ्त में इन सेवादारों को मिलती हैं। अपने व अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए व्यक्ति को अपना व्यवसाय या नौकरी करनी चाहिए। अगर अनगिनत भत्ते इन सेवादारों से वापस ले लिए जाएँ तो न जाने कितने गरीब किसानों व देशवासियों का भला हो सकता है।यह देश सिर्फ उन लोगों की सेवा चाहता है जो बिना किसी स्वार्थ अपनी सेवा दे सकें। सभी सामजिक,धार्मिक व अन्य सभी सेवाओं में सिर्फ राजनीति ही ऐसी सेवा है जिसे करके सेवादार अपनी व अपनी पुश्तों की जिंदगी संवार लेता है फिर चाहे देशवासियों की जिंदगी सुधरे या नहीं। अब देश के सेवादार सिर्फ नेता बनते हैं महापुरुष नहीं।
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PRCHY 1 July2018 |