रानी और गोली
"पड़ोस की
आंटी जी का फ्रैक्चर हो गया। अब घर के काम के लिए मेड रख ली गयी। हाल-चाल जानने के
लिए उनके घर पहुँची तो अंकल जी आंटी जी को समझा रहे थे कि - मेड से पंगा मत लिया
करो। अगर ये चली गयी तो कौन घर संभालेगा ? मेड का रूतबा घर में आंटी जी से बहुत ज्यादा हो गया था। जहाँ आंटी जी से वो
झुंझला कर बात करते वहीँ मेड से बड़े ही प्यार से। आंटी जी चुपचाप उस मेड की अदाओं
और नखरों को मन मारकर बर्दाश्त कर रहीं थीं"।
"सारा दिन
ऑफिस से थक-हार कर नीता घर पहुँचती तो पति के लिए एक कप चाय भी नहीं दे पाती थी।
मेड आती और पूरे घर के साथ-साथ नीता के पति और बच्चों का भी ध्यान रखती थी। नीता
से ज्यादा मेड को पता था कि घर का सामान कहाँ है ? बच्चे कब
और कहाँ जाते हैं ? नीता का पति कब घर आता है ? परिवार की छोटी-छोटी जरूरतों का ध्यान मेड ही
रखती थी।घर की हर चीज़ को बिना किसी इजाज़त के वो इस्तेमाल कर सकती थी"।
कमाने के लिए हमने अपने
परिवार,बच्चे और स्वास्थ्य को दाँव पर लगा दिया है। पैसा
जितना आता है उतना ही खर्च हो जाता है।
कभी
अपने स्वास्थय,नौकरी या अन्य किसी कारणवश अच्छी
मोटी तनख्वाह देकर और अपना परिवार इन मेड के हवाले कर महिलाएँ सारा दिन ऑफिस में
बिता कर या टी.वी,किटी -पार्टी ,व्हाट्सएप्प
,चुगली-निंदा ,सोने या फिर आलतु-फ़ालतू
कामों में ही बिता देतीं हैं।
कहते हैं- जब औरत रसोई
किसी और औरत के हाथ में दे देती है तो धीरे-धीरे घर भी उसी का हो जाता है। घर के
लोग उस औरत को ज्यादा तरज़ीह देने लगते हैं। क्योंकि घर वाले उसकी सेवा और घर के
प्रति उसकी निष्ठां से इतने प्रसन्न रहने लगते हैं कि कभी-कभी उस मेड
के सामने ही पति और बच्चे घर की मालकिन की अच्छी क्लास लगा देते हैं
और घर की स्वामिनी को अपने स्वामिनी होने पर शक होने लगता है।
आजकल चारों और लोकडाउन
है औरतों को अपने घर का काम खुद करना पड़ रहा है और करवाचौथ की कहानी वाला मैसेज
वायरल हो रहा है कि-रानी(घर की मालकिन) गोली (मेड) हो गयी और गोली रानी।
परन्तु इस सोच में एक
अच्छा ख़ासा मैसेज है हर महिला के लिए कि -अपने घर का काम करने के बावज़ूद भी हर महिला रानी ही रहेगी गोली नहीं बन जायेगी। वैसे तो हर गोली भी अपने घर
की रानी ही है।
हमारे घरों में जब से टी.वी ,मोबाइल ,व्हाट्सएप्प ,फेसबुक और न जाने कितने ही अनचाहे मेहमान अपना ठिकाना बना चुके हैं तब से ही बीमारियाँ,अवसाद,चिड़चिड़ापन,अकेलापन और न जाने कितनी समस्याएँ हमारे घरों में जन्म ले चुकी हैं। इन सब में अपना कीमती समय और अपने घर परिवार को दाँव पर लगाकर हम महिलाएँ स्वयँ अपनी ख़ुशी और रजामंदी से अपना घर किसी दूसरे को सौंप चुकी हैं और अब रोना रो रहीं हैं कि -"गोली रानी हो गयी"।
H,HNDU 03/04/2020 (Pg-45) |