हकीकत
देखना और मुस्कुराना
वफ़ा का अंदेशा हो
ज़रूरी तो नहीं।
मुँह फेर लेना
रुस्वाई दिखाना
बेवफाई हो
ज़रूरी तो नहीं।
तरकश कोई सीने में दफ़न
हो सकता है ,
हर पल तुझे ही
सोचना हो
ज़रूरी तो नहीं।
क्या मालूम
खुदा से तेरी सलामती की
दुआ हो
इस अंदाज़ में,
तेरा ही हूँ
मान तो सही।
क्यों कि
जो दिखे
वो सब...
सच ही हो
ज़रूरी तो नहीं। PRCY 25October18,pg-4 |