असलियत
नज़ाकत सुर्ख़ हो कर
तमतमा रहीं हैं
चमक उड़तीं फिर रहीं।
बचपन कहीं गुम हो गया
जवानी उबाले ले रही।
ज़हीन यूँ ही घूम रहे
ख्वाहिशें यूँ ही मचल रहीं।
बददिमाग आला बने
और
हुनर कहीं...
यूँ ही सड़ रही।
[ ज़हीन-intelligent, आला-grand ]
नज़ाकत सुर्ख़ हो कर
तमतमा रहीं हैं
चमक उड़तीं फिर रहीं।
बचपन कहीं गुम हो गया
जवानी उबाले ले रही।
ज़हीन यूँ ही घूम रहे
ख्वाहिशें यूँ ही मचल रहीं।
बददिमाग आला बने
और
हुनर कहीं...
यूँ ही सड़ रही।
[ ज़हीन-intelligent, आला-grand ]