Thursday, February 8, 2018

मासूम

मासूम

खुशियाँ ही खुशियाँ  बिखरी थीं
चारों ओर
कलकलाहट से गूँज रहा था
मेरा घर  
       
जब गोद में मेरी डाला उसे , 
चूम लिया मैंने उसे,
और 
नन्हे हाथों ने छुआ मुझे।

और...  कहा कभी छोड़ने को
सीने से लगा लिया मैंने भी उसको । 
  
फिर...भी कुछ कम सा था। 

विचारों का एक तूफ़ान सा था ,
रगों में...क्यूँ ,
खून जोर - जोर से दौड़ रहा था।

एक पल को...वो भी 
रोया था।  

शायद उसे भी पता था
कि  
मैं उसकी "माँ" था।  
10 Nov 2019