शिक्षक
एक शिक्षक अपने समाज की नींव भरने में बहुत बड़ा योगदान देता है। किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसके अध्यापक के हाथों में होता है। अपने शिक्षकों के साथ विद्यार्थी का सम्बन्ध कैसा हो यह पूर्णतः शिक्षक पर निर्भर करता है। प्रायः कई बार शिक्षक का पढ़ाया हुआ विद्यार्थियों को बहुत ही सरलता से समझ आ जाता है या शिक्षक अपने विनम्र स्वभाव के कारण विद्यार्थियों के बीच एक अलग जगह बना लेता है। विद्यार्थियों के बीच वह शिक्षक इतना लोकप्रिय हो जाता है कि उसका कहा कोई भी विद्यार्थी अनसुना कर ही नहीं पाता। कुछ गुरु-शिष्य सम्बन्ध तो आजीवन बने रहते हैं।
छोटे बच्चों से लेकर युवा वर्ग के मन पर सबसे अधिक प्रभाव अपने अध्यापक का होता है। आज का युवा वर्ग भ्रमित है व दिशा हीन है। अपने सपनों को पूरा न कर पाने के कारण हताश हो जाता है। एक अध्यापक अपने विद्यार्थी को जीवन के लक्ष्य निर्धारित करने में भलीभांति दिशा निर्देश देकर व उसे जीवन में नैतिक मूल्यों के महत्व को भलीभांति बहुत ही सरल तरीके से समझा सकता है।
एक व्यक्ति का चरित्र उसके परिवार व समाज का आईना होता है तथा इसमें परिवार के साथ-साथ एक शिक्षक की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक खूबसूरत देश व दिमाग का निर्माण करने में माता-पिता के बाद सबसे अधिक योगदान एक शिक्षक का होता है। अपने अध्यापक से प्रेरणा लेकर व प्रोत्साहित होकर एक औसत विद्यार्थी भी अपने क्षेत्र में वरीयता प्राप्त कर सकता है।
कच्ची मिटटी की भाँति एक विद्यार्थी शिक्षक के हाथ में पहुँचता है। शिक्षक अपने प्यार व कठिन परिश्रम से इस मिटटी को योग्य रूप दे सकता है। आजकल इस प्रकार का प्रेम व लगाव कम ही सुनने व देखने को मिलता है। बहुदा शिक्षक स्वयं ऊंचाइयों पर नहीं पहुँचते लेकिन ऊंचाइयों पर पहुँचने वालों को शिक्षक ही निर्मित करते हैं।
एक शिक्षक को अपने वद्यार्थियों से मिला प्रेम व सम्मान सभी मिलने वाले अन्य साम्मान व पुरुस्कारों से श्रेष्ठ व सर्वोपिर है। ईमानदारी,निष्ठा,लगन व प्रेम पूर्वक ज्ञान को अगली पीढ़ी तक देना ही एक सच्चे अध्यापक का लक्ष्य होता है। आज हमारे देश में ऐसे ही अध्यापकों की आवश्यकता है जो निजी स्वार्थों को त्याग कर राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
एक शिक्षक को अपने वद्यार्थियों से मिला प्रेम व सम्मान सभी मिलने वाले अन्य साम्मान व पुरुस्कारों से श्रेष्ठ व सर्वोपिर है। ईमानदारी,निष्ठा,लगन व प्रेम पूर्वक ज्ञान को अगली पीढ़ी तक देना ही एक सच्चे अध्यापक का लक्ष्य होता है। आज हमारे देश में ऐसे ही अध्यापकों की आवश्यकता है जो निजी स्वार्थों को त्याग कर राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।