Thursday, November 1, 2018

क्यों और कितनी जरुरी है मल्टी-टास्किंग

इंसान की प्रवृति ऐसी है कि यह समय व जरुरत के अनुसार खुद को वातावण के अनुसार ढाल लेता है। घरों में यही सिखाया जाता था कि -एक समय पर एक ही कार्य करना चाहिए।लेकिन आज के परिवेश में ये सम्भव नहीं लगता। आज सभी भागदौड़ की जिंदगी जी रहे हैं। एक ही समय पर एक साथ कई कार्यों को निपटाना लाजमी हो गया है। आज मल्टीटास्किंग समय की आवश्यकता है। लेकिन इस प्रकार जीवन भी एक रोबोट की तरह हो गया है। रोजाना "टू -डू "लिस्ट बनतीं हैं। सुबह की चाय से लेकर रात की लाइट बंद होने तक सब कुछ है इस लिस्ट में पर संतुष्टि,शान्ति, खुशी,परिवार,घर के बुजुर्गों ,बच्चों को व अपने लिए समय, हँसना ,खेलना ,दोस्त,रिश्तेदार आदि इस लिस्ट से नदारद हैं।परिवार एकल हो गए हैं जिसके कारण सभी कार्य खुद ही निबटाने पड़ते हैं।अन्यथा घर में सभी कार्य बड़े ही आराम से एक-दूसरे के सहयोग से संभव हो जाते थे। आजकल लोग सहायता लेने व देने दोनों से ही कतराते हैं। एक-दूसरे पर विशवास की कमी,ऑफिस व घर में सफलता का श्रेय लेने की होड़,आस-पड़ोस में संवाद का न होना, असुरक्षा आदि कुछ ऐसे कारण हैं जिसके कारण व्यक्ति कभी मज़बूरी में या कभी अपने स्वार्थ के कारण भी सभी कार्य खुद ही करना चाहता है। एक ही समय में अनेक निर्णय लेने से व्यक्ति की कार्य क्षमता, व्यवहार के साथ-साथ सेहत पर असर तो पड़ता ही  है। अवसाद,भूलना,चिड़चिड़ापन,थकावट आदि लक्षण प्रायः लोगों में दिखाई देते हैं। इस प्रकार इंसान उपलब्ध अनेक मशीनों के सहारे मशीनी जिंदगी जी रहा है। दिल भी मशीन से धड़क रहे हैं। इंसान की स्वाभाविक विशेषताएं विलुप्त होती जा रही हैं। समय पर अपने प्रियजनों या अन्य लोगों से सहायता ले लेना ज्यादा बेहतर  है बजाय सभी कार्यों का बोझ अपने कधों पर लादने के। मल्टी-टास्किंग की बजाय अगर मल्टी-आस्किंग हो जाए तो सेहत के साथ समाज भी स्वस्थ व खुशहाल हो जाए। 

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