Tuesday, September 24, 2019

चाणक्य नीति


इंसान अपने आम स्वभाव के कारण एक दूसरे से मिलते हुए कई तरह की बातें करते हैं, लेकिन चाणक्यनीति की मानें तो कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जिन्हें बताने पर इंसान को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। चाणक्य के अनुसार कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें गुप्त रखना चाहिए। यानी किसी को भी नहीं बतानी चाहिए।
आइए जानते हैं उन चार चीजों के बारे जिन्हें चाणक्य गुप्त रखने की सलाह देते हैं-
कौटिल्य लिखते हैं-
अर्थनाशं मनस्तापं गृहिणीचरितानि च।
नीचवाक्यं चाऽपमानं मतिमान्न प्रकाशयेत्।।
अर्थनाशं यानी आर्थिक हानि- 
चाणक्य के अनुसार, यदि आप को किसी प्रकार की आर्थिक हानि हुई है तो इस बारे में किसी को नहीं बताना चाहिए। क्योंकि जिस व्यक्ति की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है लोग उसकी मदद करने से डरते हैं। इसलिए ऐसी बातों को गुप्त रखना चाहिए।
मनस्तापं यानी मन का दुख-चाणक्यनीति के अनुसार, मन का संताप किसी को जाहिर नहीं करना चाहिए। क्योंकि लोग आपके दुख का मजाक बना सकते हैं जिससे यह दुख और बढ़ जाएगा। ऐसा संत रहीमदास जी ने भी एक दोहे के जरिए कहा है - रहिमन निज मन की व्यथा मन ही राखो गोय, सुन इठलइहैं लोग सब बांट न लइहैं कोय।।
गृहणीचरितानि यानी पत्नी का चरित्र-
चाणक्यनीति के अनुसार, गुप्त रखने योग्य तीसरी बात है गृहणी का चरित्र। कहते हैं समझदार पुरुष अपनी पत्नी के चरित्र के बारे में किसी को कुछ नहीं बताते। जो पुरुष अपनी पत्नी के साथ हुए झगड़े, सुख-दुख आदि बातों को दूसरों से बताते हैं उन्हें भयंकर मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
नीचवाक्यं चाऽपमानं यानी अपशब्द और अपमान-
चाणक्य ने कहा है किसी को अपने साथ हुए अपमान या बोले गए अपशब्दों के बारे में नहीं बताना चाहिए। क्योंकि ऐसी बातें दूसरों को पता चलने से खुद की प्रतिष्ठा कम होती है।