Tuesday, January 16, 2018

मुलाकात

        मुलाकात

पल-पल जीने  की ख़ुशी
हौंसला  सा  बढ़ा देती  है। 

तुझसे मिलने  की  झूठी
आस  दो  कदम  आगे
बढ़ा देती  है। 

पर  कुछ
बदल  सा  गया  है,
आबो  हवा  में।

यहीं  कहीं  है  तू
तेरी  महक,
सिरहन सी  मचा  देती  है। 

जज्ब  कर  लेती  है  
ये  मुझे,
और              
फिर ज़िन्दगी
दो  कदम  वापिस 
बुला  लेती  है। 

[जज्ब- absorb ]