Wednesday, June 13, 2018

प्याऊ या प्लास्टिक बोतल

आजकल गर्मी का जोर है और चलते हुए प्यास भी काफी लगती है। पुराने ज़माने में रास्ते में पानी की कोई परेशानी नहीं होती थी। वैसे तो पानी की परेशानी आज भी नहीं है। पर परेशानी पानी की बोतलों से हो रही है। प्लास्टिक अब हमारी मुश्किल बन गया है। पुराने समय में जगह -जगह पेड़ों के नीचे पानी की प्याऊ होती थीं ।जहाँ अंदर बैठा व्यक्ति मटके से पानी निकाल कर राहगीरों को पानी पिलाता था। मटके का पानी सेहत के लिए भी सही था। प्याऊ को धर्म व परोपकार से भी जोड़ दिया गया। प्याऊ लगाने वाले को पुण्य मिलता है ऐसी आस्था थी लोगों में। समाज में लोग अपने माता-पिता के नाम पर ,बच्चों के जन्म या अन्य किसी महत्वपूर्ण दिवस पर प्याऊ लगवाते थे। पेड़ और पानी दोनों ही मानव जाति के मुनाफे के लिए ही थे और वो भी बिना किसी खर्च के।अगर वही प्रचलन दुबारा शुरू किया जाए तो इस छोटी से पहल से काफी हद तक प्लास्टिक से छुटकारा मिल सकता है।

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